करे कोशिश अगर इंसान तो क्याक्या नहीं मिलता वो उठकर चल के तो देखे जिस रस्ता नहीं मिलता ! भले ही धूप हो, कांटे हों पर चलना ही प़डता है किसी प्यासे को घर बैठे कभी दरिया नहीं मिलता ! कहें क्या ऐसे लोगों से जो कहकर ल़डख़डाते हैं कि हम आकाश छू लेते मगर मौका नहीं मिलता ! कमी कुछ चाल में होगी, कमी होगी इरादों में जो कहते कामयाबी का हमें नक्शा नहीं मिलता! हम अपने आप पर यारो भरोसा करके तो देखें कभी भी ग़िडग़िडाने से कोई रुतबा नहीं मिलता!..
क्या ये प्रलय का समय हैं ! क्या ये प्रलय का समय हैं श्याह पडा आसमान हैं शहर हुआ वीरान है उखड़ रही चाहते हैं धधक रहा शमशान हैं क्या ये प्रलय का समय हैं ! गिद्धों का लगा बाजार है सांसों का हो रहा व्यापर है जलने का हो रहा इंतजार है इंसानियत आज शर्मसार हैं क्या ये प्रलय का समय हैं ! चहुऔर घनघोर अंधेरा है बेबसी ने डाला डेरा हैं सन्नाटे को तोड़ शिशकीआ हैं आंसुओं का समन्दर हैं क्या ये प्रलय का समय हैं ! Sanjeev Singh
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